गांव से करोड़ों की कमाई: बिहार के मशरूम किसानों की सच्ची कहानियाँ

Real success stories of mushroom farming in Bihar with practical insights, earnings potential, government schemes, and how rural farmers became crorepatis.
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भारत जैसे देश में जहाँ कृषि को अब भी पारंपरिक पेशे के रूप में देखा जाता है, वहीं कुछ किसान ऐसी मिसालें पेश कर रहे हैं जो न केवल गांव की तस्वीर बदल रहे हैं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा बन रहे हैं। मशरूम की खेती अब एक उभरता हुआ बिजनेस मॉडल बन चुका है। कम जमीन, कम पानी और सीमित संसाधनों के साथ भी अधिक मुनाफा देने वाली यह खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। बिहार में कई ऐसे किसान हैं जिन्होंने न केवल इस क्षेत्र में महारत हासिल की, बल्कि आज लाखों–करोड़ों की कमाई कर रहे हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही प्रेरक उदाहरण।

🍄 1. सुखराम प्रसाद चौरसिया – ‘मशरूम किंग ऑफ बिहार’

  • स्थान: रांटी गाँव, मधुबनी
  • शुरुआत: 2010 में खेती
  • कमाई: सालाना ₹3–4 करोड़

सुखराम चौरसिया की कहानी किसी प्रेरणादायक फिल्म से कम नहीं है। उन्होंने प्रारंभ में परंपरागत फसलें उगाईं लेकिन लागत अधिक और लाभ कम होने के कारण वे परेशान रहते थे। 2010 में उन्होंने पटना से मशरूम उत्पादन की ट्रेनिंग ली और अपने छोटे से खेत में इसकी शुरुआत की। पहले साल में उन्होंने बटन मशरूम और बाद में ऑयस्टर और मिल्की मशरूम का उत्पादन भी शुरू किया।

उनकी सफलता की कुंजी:

  • साइंटिफिक एप्रोच: तापमान और नमी नियंत्रित यूनिट्स का निर्माण
  • मार्केटिंग: सीधे होटल, रिटेलर्स और रेस्टोरेंट से संपर्क
  • रोज़गार सृजन: आज वे 200 से अधिक परिवारों को ट्रेनिंग और रोजगार दे चुके हैं।

📎 Source: ETV Bharat

🌱 2. मनोज कुमार – ₹700 से ₹25 लाख सालाना

  • स्थान: नवादा, बिहार
  • प्रारंभिक निवेश: ₹700
  • अब की कमाई: ₹25 लाख प्रति वर्ष

मनोज कुमार ने शुरुआत महज ₹700 से की थी, जिसमें उन्होंने कुछ मशरूम स्पॉन खरीदे और घरेलू स्तर पर प्रोडक्शन शुरू किया। शुरुआती असफलताओं से उन्होंने सीखा और बाद में सोलन स्थित DMR से ट्रेनिंग प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अपनी खेती को व्यावसायिक रूप में परिवर्तित किया।

उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ:

  • AC आधारित यूनिट: गर्मी में भी बटन मशरूम का उत्पादन संभव
  • डिजिटल माध्यम से बिक्री: WhatsApp, Facebook और Local Aggregators के माध्यम से डायरेक्ट कस्टमर
  • ट्रेनिंग प्रोग्राम: अब तक 5000+ किसानों को ट्रेनिंग दे चुके हैं

📎 Source: TV9 Hindi

🍽️ 3. शशिभूषण तिवारी – ₹2 लाख की रोजाना बिक्री

  • स्थान: मुजफ्फरपुर, बिहार
  • उत्पादन: 1700 किलो/दिन
  • सेल्स: ₹2 लाख प्रतिदिन

शशिभूषण तिवारी दिल्ली में एक छोटे व्यवसाय में कार्यरत थे। COVID-19 लॉकडाउन के दौरान वे अपने गाँव लौटे और यूट्यूब के माध्यम से मशरूम खेती के बारे में जानकारी हासिल की। उनके परिवार में खेती का अनुभव था, जिसका उन्होंने भरपूर लाभ उठाया।

उनकी कहानी के मुख्य बिंदु:

  • इनोवेशन: स्थानीय स्तर पर कम लागत में पीयूष कक्ष का निर्माण
  • एक्सपोर्ट लेवल की तैयारी: नेपाल, भूटान और बांग्लादेश तक सप्लाई
  • प्रोसेसिंग यूनिट: सुखाकर पैकेजिंग कर स्टोर करने की व्यवस्था

📎 Source: 30Stades

👩‍🌾 4. रेखा देवी – ग्रामीण महिलाओं की उम्मीद

  • स्थान: गया, बिहार
  • शुरुआत: 400 यूनिट्स
  • प्रेरणा: NABARD और SumArth से प्रशिक्षण

रेखा देवी की कहानी दर्शाती है कि कैसे एक महिला अपने बलबूते गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना सकती है। उन्होंने मशरूम यूनिट्स में महिलाओं को काम देकर न केवल रोजगार दिया, बल्कि आत्मविश्वास भी।

प्रभाव:

  • 50+ महिलाओं को सीधा रोज़गार
  • स्व-सहायता समूह का निर्माण
  • प्रॉफिट: शुरुआती महीनों में ₹52,000 से अधिक

📎 Source: Gaon Connection

🏛️ 5. सरकारी योजनाएँ और सब्सिडी

बिहार सरकार ने ग्रामीण कृषि के विकास के लिए कई योजनाएं चलाई हैं:

  • राष्ट्रीय बागवानी मिशन (NHM):
    • 50% तक सब्सिडी
    • ₹10 लाख तक सहायता
    • प्लांट, किट, स्पॉन यूनिट आदि पर अनुदान
  • NABARD:
    • लोन सहायता
    • स्व-सहायता समूह निर्माण में मदद
    • महिला केंद्रित ट्रेनिंग प्रोग्राम
  • DMR Solan:
    • वैज्ञानिक और तकनीकी प्रशिक्षण
    • रिसर्च आधारित खेती की जानकारी

📎 Source: TV9 Bharatvarsh

📊 निष्कर्ष

मशरूम की खेती का यह क्षेत्र अब केवल ‘एडवांस किसानों’ के लिए नहीं, बल्कि किसी भी इच्छुक ग्रामीण के लिए खुला अवसर है। सही मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और सरकारी सहायता से यह एक कम लागत, उच्च मुनाफा देने वाला व्यवसाय है। बिहार के इन किसानों ने यह साबित किया है कि संसाधन सीमित हो सकते हैं, लेकिन दृष्टिकोण और मेहनत में कोई सीमा नहीं होती।

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