
22 जून 2025 को शुरू हुआ ऑपरेशन “मिडनाइट हैमर” अमेरिका और इज़रायल के मिलेजुले अभियान का हिस्सा था, जिसमें ईरान के तीन मुख्य परमाणु स्थलों — फ़ोरडो, नतांज़ और इस्फहान — पर सटीक हवाई हमले किए गए। इन हमलों में उपयोग किए गए हथियार प्रणालियों ने आधुनिक युद्धकला में तकनीकी श्रेष्ठता और रणनीतिक मजबूती का उदाहरण पेश किया। इस लेख में हम पाँच प्रमुख हथियार प्रणालियों का गहन अध्ययन करेंगे, ताकि पाठक समझ सकें कि कैसे ये सिस्टम डिज़ाइन, मार्गदर्शन और सामरिक दृष्टि से विशिष्ट भूमिका निभाते हैं।
1. B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर
इतिहास एवं विकास:
B-2 स्पिरिट का विकास 1980 के दशक में यूनाइटेड स्टेट्स एयर फ़ोर्स ने गुप्त रूप से शुरू किया। इसका उद्देश्य था अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणालियों को पार करते हुए दुर्गम ठिकानों में घुसकर हमला करना।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएं:
- स्टील्थ प्रोफ़ाइल: कर्व्ड विंग डिज़ाइन और रडार-एवज़न कोटिंग से इंफ्रारेड, ध्वनिक, विज़ुअल और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक सिग्नेचर को न्यूनतम किया गया है।
- पेलोड क्षमता: 18,000 किलोग्राम तक बम और मिसाइल ले जा सकता है।
- ऑपरेटिंग रेंज: बिना मध्यवर्ती ईंधन भराव (एयर-रेफ़्यूलिंग) के 11,000 किलोमीटर, एअर-रेफ़्यूलिंग के साथ ग्लोब के किसी भी कोने तक मिशन संभव।
ऑपरेशनल भूमिका:
ऑपरेशन “मिडनाइट हैमर” में B-2 ने GBU-57 बंकर बस्टर बम को लेकर भूमिगत परमाणु सुविधाओं पर हमला सौंपा, जहाँ परंपरागत हथियार प्रभावहीन साबित होते। इसकी स्टील्थ क्षमताओं ने बिना किसी विमानगामी रडार चेतावनी के गहरे ठिकानों को सफलतापूर्वक निशाना लगाने में मदद की।
2. GBU-57 “बंकर बस्टर” बम
विकास एवं उद्देश्य:
GBU-57 को विशेष रूप से गहरे भूमिगत संरचनाओं को नष्ट करने के लिए डिजाइन किया गया था। बोइंग और एयर फ़ोर्स रिसर्च लैब ने इस 13,600 किलोग्राम वजनी बम का विकास किया।
तकनीकी विवरण:
- वजन एवं माप: कुल 30,000 पाउंड (13,600 किग्रा), लंबाई 20 फीट, व्यास 2.6 फीट।
- पैठ क्षमता: 60–70 मीटर मिट्टी और कंक्रीट के बीच पैठकर विस्फोट।
- वारहेड: विशेष मिक्सचर विस्फोटक, जो प्रवेश के बाद जमीन की सतह को अंदर से तहस-नहस कर देता है।
रणनीतिक महत्व:
परमाणु रिएक्टर, रेडियोलॉजिकल लैब और सुरक्षा वाली कंट्रोल रूम जैसी गहरी सुविधाओं के विरुद्ध GBU-57 का प्रभावी उपयोग सतह पर सटीक नहीं, बल्कि भीतर तक गहन क्षरण करता है। ऑपरेशन में अनुमानित 12 बंकर बस्टर बमों ने फ़ोरडो फैसिलिटी को क्षत-विक्षत कर दिया।
3. टोमहॉक क्रूज़ मिसाइल्स
इतिहास एवं विकास:
टोमहॉक मिसाइल का पहला डिज़ाइन 1970 में हुआ और 1983 में RGM/UGM-109 मॉडल सेवा में आया। यह जीनेरल डायनामिक्स और बाद में रेथियॉन के सहयोग से विकसित हुआ।
प्रमुख तकनीकी विशेषताएं:
- लंबाई एवं वजन: लंबाई लगभग 5.6 मीटर, वजन 1,600 किग्रा (बूस्टर सहित 2,000+ किग्रा)।
- मार्गदर्शन प्रणाली: GPS, INS, TERCOM (स्थल-रूप नक्शा) एवं DSMAC (दृश्य मिलान) का उन्नत संयोजन।
- रेंज एवं गति: 1,600 किलोमीटर तक, सबसोनिक (~880 किमी/घंटा), लो-फ़्लाइट प्रोफ़ाइल से रडार से बचाव।
ऑपरेशनल भूमिका:
ऑपरेशन “मिडनाइट हैमर” में यूएस ने 30 टोमहॉक मिसाइलें लॉन्च कीं, जिनमें से प्रत्येक को मध्य-उड़ान में नए लक्ष्यों की ओर मोड़ा जा सकता था। इससे उन परिसरों पर भी प्रभावी हमला संभव हुआ, जहाँ पहले कोई रणनीतिक धमकियां नहीं थी।
4. F-22 रैप्टर और F-35 लाइटनिंग II
स्टील्थ फाइटर जेट्स की प्रमुख विशेषताएं:
- स्टील्थ डिज़ाइन: रडार अवशोषक कोटिंग, समरूप आकृतियाँ।
- सुपरक्रूज (F-22): आफ्टरबर्नर के बिना उच्च गति बनाए रखने की क्षमता।
- एडवांस्ड एवियोनिक्स: थर्ड-जेनरेशन इंफ्रारेड सर्चएंड ट्रैक, डेटालिंक, नेटवर्क-केन्द्रीय लड़ाकू प्रबंधन।
रणनीतिक भूमिका:
इन विमानों ने हमले के दौरान हवा में वर्चस्व बनाए रखा, टोमहॉक के लॉन्च पॉइंट तक पहुंच के रास्ते सुरक्षित किए, और हमले के बाद ISR (इंटेलिजेंस, सर्विलांस, रिकॉनीसेंस) मिशन में सहयोग दिया। F-35 की “सेंचुरीनॉइट” क्षमता ने पायलटों को उन्नत स्थिति चेतना प्रदान की। ndtv.com
5. सामरिक प्रभाव और निष्कर्ष
- तकनीकी श्रेष्ठता का प्रदर्शन: स्टील्थ बॉम्बर और फाइटर जेट्स ने रडार-आधारित वायु रक्षा प्रणालियों को बेअसर कर दिया।
- सटीक और लचीला हमला: टोमहॉक का इन-फ़्लाइट टारगेट रीडायरेक्शन और GBU-57 की पैठ क्षमता ने परमाणु सुविधाओं पर भीतरी तह पर प्रहार संभव किया।
- रणनीतिक संदेश: अमेरिका ने वैश्विक स्तर पर अपनी निवारक शक्ति का प्रदर्शन किया, जिससे भविष्य में किसी भी उत्सर्जित परमाणु कोशिश को रोकने का मजबूत संकेत गया।
इन उच्च-तकनीकी हथियार प्रणालियों ने दिखाया कि आधुनिक युद्ध केवल शक्ति या संख्या का खेल नहीं, बल्कि सूक्ष्म विज्ञान, उन्नत मार्गदर्शन और सामरिक संयोजन का परिणाम है। ऑपरेशन “मिडनाइट हैमर” ने युद्ध के सूत्रों को फिर से लिखा और दर्शाया कि कैसे टेक्नोलॉजी आधारित हमले से बड़े रणनीतिक लक्ष्यों को बिना व्यापक जनहानि के साधा जा सकता है।